Surah Inshiqaq In Hindi 1 -25 | सूरह इन्शिकाक़ हिंदी और रोमन इंग्लिश में

आज हम आपके लिए यहां पर कुरान अल करीम की एक बहुत ही अहम और रूहानी सूरह यानी कि Surah Inshiqaq In Hindi और रोमन इंग्लिश में लेकर आए हैं।

सूरह इन्शिकाक़ कुरान की वो सूरह है जिसमें क़यामत के दिन के हालात और इंसान के आमाल का ज़िक्र किया गया है। इस सूरह की तिलावत इंसान को आखिरत की याद दिलाती है और अल्लाह तआला की तरफ रूजू करने की ताकीद करती है।

इसलिए हमारी कोशिश है कि आप यहां इस सूरह को सही लफ़्ज़ों में पढ़ें और हर हर्फ़ पर ध्यान दें। क्योंकि कुरान का हर्फ न सिर्फ सवाब का ज़रिया है बल्कि इंसान के दिल को सुकून और ज़िंदगी को रहनुमा भी बनाता है।

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Surah Inshiqaq In Hindi

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

  1. इजस समा उन शक्क़त
  2. व अज़िनत लि रब्बिहा व हुक्क़त
  3. व इज़ल अरदु मुद्दत
  4. व अल्क़त मा फ़ीहा व तख़ल्लत
  5. व अज़िनत लि रब्बिहा व हुक्क़त
  6. या अय्युहल इंसानु इन्नका कादिहुन इला रब्बिका कद हन फ़मुलाक़ीह
  7. फ़ अम्मा मन ऊतिया किताबहू बि यमीनिह
  8. फ़सौफ़ा युहासबु हिसाबै यसीरा
  9. व यन्क़लिबू इला अहलिही मसरूरा
  10. व अम्मा मन ऊतिया किताबहू वराअ ज़हरिह
  11. फ़सौफा यद्ऊ सुबूरा
  12. व यस्ला सईरा
  13. इन्नहू कान फ़ी अहलिही मसरूरा
  14. इन्नहू ज़न्ना अल लैय यहूर
  15. बला इन्ना रब्बहू कान बिही बसीरा
  16. फ़ला उक्सिमु बिश शफ़क़
  17. वल लैलि वमा वसक़
  18. वल क़-मरि इज़त तसक़
  19. लतर कबुन्ना त-बक़न अन तबक़
  20. फ़मा लहुम ला युअ’मिनून
  21. वइज़ा कुरि आ अलैहिमुल कुरआनु ला यस्जुदून
  22. बलिल लज़ीना कफरू युकज्ज़िबून
  23. वल लाहु अअ’लमु बिमा यू ऊन
  24. फ़बश शिरहुम बि अजाबिन अलीम
  25. इल्लल लज़ीना आमनू व अमिलुस सालिहाति लहुम अजरुन गैरु मम नून

Surah Inshiqaq In Roman English

Bismillah Hirrahmaan Nirraheem

  1. Izas samaaa’un shaqqat
  2. Wa azinat li Rabbihaa wa huqqat
  3. Wa izal ardu muddat
  4. Wa alqat maa feehaa wa takhallat
  5. Wa azinat li Rabbihaa wa huqqat
  6. Yaaa ayyuhal insaanu innaka kaadihun ilaa Rabbika kad han famulaaqeeh
  7. Fa ammaa man ootiya kitaabahoo biyameenih
  8. Fasawfa yuhaasab hisaabany yaseeraa
  9. Wa yanqalibu ilaaa ahlihee masrooraa
  10. Wa ammaa man ootiya kitaabahoo waraaa’a zahrih
  11. Fasawfa yad’oo thubooraa
  12. Wa yaslaa sa’eeraa
  13. Innahoo kaana feee ahlihee masrooraa
  14. Innahoo zanna an lany yahoor
  15. Balaaa inna Rabbahoo kaana bihee baseeraa
  16. Falaaa uqsimu bishshafaq
  17. Wallaili wa maa wasaq
  18. Walqamari izat tasaq
  19. Latarkabunna tabaqan ‘an tabaq
  20. Famaa lahum laa yu’minoon
  21. Wa izaa quri’a ‘alaihimul Quraanu laa yasjudoon
  22. Balil lazeena kafaroo yukazziboon
  23. Wallaahu a’lamu bimaa yoo’oon
  24. Fabashshirhum bi’azaabin aleem
  25. Illal lazeena aamanoo wa ‘amilus saalihaati lahum ajrun ghairu mamnoon

Surah Inshiqaq Tarjuma In Hindi

अल्लाह के नाम से शुरू जो मेहरबान रहमत वाला, याद करो उस वक़्त को जब आसमान फट पड़ेगा और वो अपने परवरदिगार का हुक्म सुन कर मान लेगा और उस पर यही लाज़िम है।

और जब ज़मीन फैला दी जाएगी और जो कुछ ज़मीन के अन्दर है वो उसे बाहर फेंक देगी और ख़ाली हो जाएगी और वो अपने परवरदिगार का हुक्म सुन कर मान लेगी और उस पर यही लाज़िम है।

ऐ इन्सान ! तू अपने परवरदिगार के पास पहुँचने तक मुसलसल किसी मेहनत में लगा रहेगा, यहाँ तक कि उस से जा मिलेगा फिर जिस शख्स को उस का आमालनामा उस के दायें हाथ में दिया जायेगा।

उस से तो आसान हिसाब लिया जायेगा और वो अपने घर वालों के पास ख़ुशी मनाता हुआ वापस आयेगा लेकिन वो शख्स जिस को उस का आमालनामा पीठ के पीछे से मिलेगा।

तो वो मौत को पुकारेगा और वो भड़कती हुई आग में दाखिल होगा पहले वो अपने घर वालों के दरमियान बहुत ख़ुश रहता था उस ने ये समझ रखा था कि वो कभी पलट कर अल्लाह के सामने नहीं जायेगा।

क्यूँ नहीं ? उसका परवरदिगार उसको अच्छी तरह देख रहा था अब मैं क़सम खाता हूँ शफ़क़शाम की सुर्खी की और रात की, और उन तमाम चीज़ों की जिन्हें वो समेट लेती है।

और चाँद की जब वो पूरा हो जाता है तुम ज़रूर एक हालत से दूसरी हालत पर पहुंचोगे फिर उन्हें क्या हो गया है कि वो ईमान नहीं लाते हैं? और जब उनके सामने क़ुरान पढ़ा जाता है तो वो सज्दा नहीं करते हैं।

बल्कि ये काफ़िर लोग हक़ को झुट्लाते हैं और जिन बातों को ये झुट्लाते हैं अल्लाह उन से खूब वाकिफ़ है तो आप उनको एक दर्दनाक अज़ाब की खब़र सुना दीजिये मगर हाँ ! जो लोग ईमान ले आये और अच्छे अमल करते रहे, उनको ऐसा सवाब मिलेगा जो कभी ख़त्म नहीं होगा।

आख़िरी लफ्ज़

यह थी Surah Inshiqaq हिंदी और रोमन इंग्लिश में। अब आप जहाँ चाहें, जिस अंदाज़ में चाहें इस सूरह को आसानी से पढ़ सकते हैं। याद रखिए, कुरान की हर आयत सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं बल्कि हिदायत, रहमत और नूर का समंदर है।

हम सबकी कोशिश यही होनी चाहिए कि तिलावत सिर्फ ज़ुबान से नहीं बल्कि दिल से भी हो, ताकि उसकी रौशनी हमारे आमाल और ज़िंदगी दोनों को संवार दे।

अल्लाह तआला हमें कुरान-ए-पाक से मोहब्बत करने, समझने, पढ़ने और उस पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन या रब्बुल आलमीन।

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