कुरआन मजीद की छोटी मगर बेहद असरदार सूरहों में से एक है सूरह अत-तीन। जिसे हमने आज यहां पर Surah Tin In Hindi और रोमन इंग्लिश में बताया है।
इसमें अल्लाह तआला ने इंसान की असल क़ीमत और उसकी पैदाइश की हकीकत बयान की है। अल्लाह क़सम खाता है ज़ैतून अंजीर तौर सीनिन और इस मुबारक शहर मक्का की और फिर इंसान की शान बताते हुए फरमाता है:
कि हमने इंसान को सबसे बेहतरीन शक्ल व सूरत में पैदा किया। लेकिन अगर वह ईमान और नेक अमल से दूर हो जाए तो वह सबसे नीचे गिरा दिया जाता है। इसीलिए आज हमने इसे आसान लफ़्ज़ों में लिखा है।
Surah Tin Verses | Surah Tin Words | Surah Tin Letters | Surah Tin Rukus |
08 | 34 | 162 | 01 |
Surah Tin In Hindi
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम
- वत तीनि वज़ ज़ैतून
- व तूरि सीनीन
- व हाज़ल बलादिल अमीन
- लक़द खलक नल इनसाना फ़ी अहसनि तक़वीम
- सुम्मा रदद नाहू अस्फला साफिलीन
- इल्लल लज़ीना आमनू व अमिलुस सालिहाति फ़लहुम अजरुन गैरु ममनून
- फ़मा युकज्ज़िबुका बअ’दू बिददीन
- अलैसल लाहू बि अह्कमिल हाकिमीन
Surah Tin In Roman English
Bismillah Hirrahmaan Nirraheem
- Wat teeni waz zaitoon
- Wa toori sineen
- Wa haazal balad-il ameen
- Laqad khalaqnal insaana fee ahsani taqweem
- Thumma ra dad naahu asfala saafileen
- Ill-lal lazeena aamanoo wa ‘amilus saalihaati; falahum ajrun ghairu mamnoon
- Fama yu kaz zibuka b’adu bid deen
- Alai sal laahu bi-ahkamil haakimeen
Surah Tin Tarjuma In Hindi
अल्लाह के नाम से शुरू जो मेहरबान रहमत वाला, क़सम है इन्जीर और ज़ैतून की और सहराए सीना के पहाड़ तूर की और इस अम्नो अमान वाले शहर की हम ने इंसान को बेहतरीन सांचे में (ढाल कर) पैदा किया है।
फिर हम उसको पस्त से पस्त तर कर देते हैं हाँ जो लोग ईमान लाये और नेक अमल किये तो उनको ऐसा अज्र मिलेगा जो कभी ख़त्म नहीं होगा।
फिर (ऐ इंसान) वो क्या चीज़ है जो तुझे जज़ा व सज़ा को झुटलाने पर आमादा कर रही है क्या अल्लाह सब हाकिमों से बड़े हाकिम नहीं हैं।
Surah Tin Tarjuma In Roman English
Allah Ke Naam Se Shuru Jo Meharbaan Rahmat Wala, Qasam hai Injeer aur Zaitoon ki, aur Sahra-e-Seena ke pahaad Toor ki, aur is amn-o-amaan wale shahr ki. Hum ne insaan ko behtareen saanche mein dhaal kar paida kiya hai.
Phir hum usko past se past-tar kar dete hain. Haan, jo log imaan laaye aur nek amal kiye, to unko aisa azr milega jo kabhi khatam nahin hoga.
Phir (Ae Insaan) wo kya cheez hai jo tujhe jaza-o-saza ko jhutlane par aamda kar rahi hai? Kya Allah sab hakimon se bada Hakim nahin hai?
सूरह तीन की तफ़्सीर
सूरह अत-तीन मक्के में नाजिल हुई और इसमें कुल 8 आयतें हैं अल्लाह तआला इस सूरह की शुरुआत में क़सम खाता है अंजीर और ज़ैतून की, तौर सीनाई की और इस अमन वाले शहर मक्का की।
ये क़समें सिर्फ फल या जगहों की नहीं बल्कि उन पाक सरज़मीन की हैं जहां अल्लाह के पैग़म्बर भेजे गए। यह इशारा है हज़रत ईसा अ.स., हज़रत मूसा अ.स.और हज़रत मुहम्मद ﷺ की तरफ़। यानी इन जगहों से जुड़ी हिदायतें और रहमतें इंसान की ज़िंदगी को रोशन करती हैं।
इसके बाद अल्लाह इंसान की असल पहचान बताता है कि हमने इंसान को सबसे बेहतरीन शक्ल और अंदाज़ में पैदा किया। इंसान को अक्ल दी, सोचने-समझने की ताक़त दी, और नेक-ओ-बद का चुनाव करने की आज़ादी दी।
यह इंसान की बड़ी इज़्ज़त है कि अल्लाह ने उसे सारी मख़लूक़ात से ऊपर बनाया। लेकिन अगर इंसान इस नेमत की क़दर नहीं करता, ईमान से दूर हो जाता है और बुरे रास्ते पर चल पड़ता है।
तो वह अपनी शान खोकर सबसे नीचे गिरा दिया जाता है। यानी वह अपनी असली क़ीमत से गिरकर गुमराही और नुक़सान में चला जाता है।फिर अल्लाह याद दिलाता है कि इस गिरावट से बचने का रास्ता सिर्फ़ एक है: ईमान और नेक अमल।
जो लोग अल्लाह और आखिरत पर यक़ीन रखते हैं और अच्छे काम करते हैं, वही ऊँचे दर्ज़े पाएँगे और अल्लाह के इंसाफ में कामयाब होंगे। सूरह के आखिर में अल्लाह इंसान से सवाल करता है:
तो अब क्यों तुम दिन-ए-दीन यानी आखिरत और हिसाब-किताब को झुठलाते हो? क्या अल्लाह सबसे बड़ा हाकिम नहीं है? यह इंसान के दिल को झकझोरने वाला सवाल है, ताकि कोई शक न रहे कि आख़िर में अल्लाह ही सबसे बड़ा इंसाफ करने वाला है।
आख़िरी लफ्ज़
सूरह अत-तीन हमें यह सिखाती है कि अल्लाह ने इंसान को बेहतरीन शक्ल, अकल और समझ के साथ पैदा किया है। अब यह इंसान पर है कि वह अपनी इस नेमत को ईमान और नेक अमल से सजाए या गुनाहों और ग़फ़लत में बर्बाद कर दे।
अगर आप चाहते हैं कि आपकी ज़िंदगी अल्लाह की रहमत और बरकत से भरी रहे, तो इस सूरह की तिलावत कीजिए और उसके पैग़ाम को अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में अमल में लाइए।
और आख़िर में दुआ है अल्लाह तआला हमें और आपको ईमान पर क़ायम रखे और आखिरत में अपनी रहमत से कामयाबी अता फरमाए। आमीन।
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