आज यहां पर आप कुरान ए पाक की आख़िरी और फ़ज़िलत से भरी सूरह यानी कि Surah Naas In Hindi में जानेंगे साथ ही साथ रोमन इंग्लिश और तर्जुमा भी जानेंगे।
हमने इस सूरह को यहां पर हिंदी और इंग्लिश लफ्ज़ के बहुत ही शुद्ध और साफ शब्दों में लिखा है जिसे आप सूरह नास को सही सही मुकम्मल पढ़ कर नेकी हासिल कर सकें।
इसके बाद आपको कहीं पर भी इस सूरह को दोबारा से सर्च करके पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी इसीलिए आप भी कोशिश करें कि हर आयत के हर हर्फ को ध्यान से पढ़ें और जेहन में उतार लें।
Surah Naas Verses | Surah Naas Kalimas | Surah Naas Letters | Surah Naas Rukus |
06 | 20 | 79 | 01 |
Surah Naas In Hindi
बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम
- कुल अउजु बि रब्बिन्नास
- मलिकिन् नास इलाहिन् नास
- मिन शर्रिल वस्वासिल खन्नास
- अल लजी युवसविसु फि सुदुरिन्नास
- मिनल जिन्नती वन्नास

Surah Naas In Roman English
Bismillah Hirrahmaan Nirraheem.
- Qul Aujoo Bee Rabbinnas
- Maleekin Naas ilaaheen Naas
- Meen Sharreel Waswasil Khannaas
- Al-lazi Yuwaswisoo Fee Sudureen-naas
- Meenal Zeenati Wannas.
Surah Naas In Hindi Tarjuma
अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमत वाला तुम कहो मैं उसकी पनाह में आया जो सब लोगों का रब सब लोगों का बादशाह सब लोगों का खुदा उसके शर जो दिल में बुरे खतरे डाले और दुबक रहे वो जो लोगों के दिलो में वसवसे डालते हैं जिन्न और आदमी।
Surah Naas Tarjuma In Roman English
Allah Ke Naam Se Shuru Jo Bahut Meharbaan Rahmat Wala. Tum Kaho Main Uski Panaah Me Aaya Jo Sab Logon Ko Rab Sab Logon Ka Badshah Sab Logon Ka Khuda Uske Shar Se Jo Dil Me Bure Khatre Daale Aur Dubak Rahe Wo Jo Logon Ke Dilon Me Waswase Dalte Hain Jinn Aur Aadmi
Surah Naas Tafseer In Hindi
सूरह नास मदनी है और इसमें 1 रूकु 6 आयतें 20 कलीमें और अरबी लफ्ज़ के 79 अक्षर है।
सब का खालिक और मालिक जिक्र में इंसानों की तख्सीम उन के बड़प्पन के लिए है की उन्हें अशरफुल मखलुकात किया।
उनके कामों की तदबीर फरमाने वाला कि इलाह और मअबूद होना उसी के साथ ख़ास है इससे मुराद शैतान है।
यह उसकी आदत ही है कि इन्सान जब गाफिल होता है तो उस के दिल में वसवसे डालता है।
और जब इंसान अल्लाह का जिक्र करता है तो शैतान दुबक रहता है और हट जाता है।
यह बयान है वसवसे डालने वाले शैतान का कि वह जिन्नों में से भी होता है और इंसानों में से भी।
जैसा की शैतान जिन्न इंसानों को वसवसे में डालते हैं ऐसे ही शैतान इन्सान भी उपदेशक बनकर आदमी के दिल में वसवसे डालते हैं।
फिर अगर आदमी उन वसवसों को मानता है तो उस का सिलसिला बढ़ जाता है।
इसके बाद वो खूब गुमराह करते हैं और अगर उससे नफ़रत करता है तो हट जाते हैं और दुबक रहते हैं।
आदमी को चाहिए कि शैतान जिन्न के शर से भी पनाह मांगे और शैतान इन्सान के शर से भी पनाह मांगे।
बुखारी और मुस्लिम की हदीस में यह है कि सैय्यदे आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम रात को जब बिस्तरे मुबारक पर तशरीफ़ लाते तो दोनों दस्ते मुबारक जमा फरमाकर उनपर दम करते।
और सूरह इख्लास और सूरह फलक और इस सूरह नास को पढ़कर अपने मुबारक हाथों को सरे मुबारक से लेकर तमाम जिस्में अकदस पर फेरते जहां तक दस्ते मुबारक पहुंच सकते और यह अमल तीन बार फरमाते।
आख़िरी लफ्ज़
मेरे इस्लामी भाइयों और बहनों अब तक तो आप भी कुरान ए पाक की सबसे आख़िरी और फ़ज़िलत व रहमत भरी सूरह नास पढ़ और समझ कर जेहन में भी उतार ही लिए होंगे।
हमने यहां पर सूरह के साथ साथ इसकी तफसीर व तर्जुमा भी बहुत सरल और समझने योग्य भाषा में बताया था जिसे आप आसानी से पढ़ने के बाद समझ जाएं।
अगर मुकम्मल पैग़ाम पढ़ने में या समझने में दिक्कत हुई हो तो आप हमसे पूछ सकते हैं ऐ अल्लाह तबारक व तआला हमसे यहां पर सूरह की पढ़ने लिखने में कुछ ग़लती हुई हो तो माफ अता फरमा।
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